Saturday, February 13, 2010

बाघ-बाघ करते हो फिर बाघों को क्यों मारते हो ?


रिपोर्ट- ध्रुव रौतेला

साल दो हजार दस को भारत सरकार "टाइगर इयर" के रूप में मना रही है लेकिन देश के प्रमुख राष्ट्रिय पार्को में अब भी बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयासों की आवस्यकता है साथ ही बाघों की लगातार घटती संख्या और बढती तस्करी के बीच खबर है की देहरादून का भारतीय वन जीव संस्थान देश में पहली बार उच्च कोटि के केमरों की मदद से सेंसेस यानि बाघों की गड़ना करेगा अब तक वन कर्मचारियो द्वारा पुरानी विधि से ही गड़ना होती थी रामनगर कॉर्बेट टाइगर पार्क में २००७ की गड़ना के अनुसार कुल बाघों की संख्या १६४ बताई गयी थी पिछले वर्ष यानि २००९ में कुल ९ बाघों की यहाँ मौते हुई है साल दो हजार दस को भारत सरकार "टाइगर इयर" के रूप में मना रही है लेकिन देश के प्रमुख राष्ट्रिय पार्को में अब भी बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयासों की आवस्यकता है साथ ही बाघों की लगातार घटती संख्या और बढती तस्करी के बीच खबर है की देहरादून का भारतीय वन जीव संस्थान देश में पहली बार उच्च कोटि के केमरों की मदद से सेंसेस यानि बाघों की गड़ना करेगा भारत में बाघों की संख्या वर्ष १९७१ में १२०० १९८९ में ४२०० १९९६ में २५०० और २००६ में कुल १४११ रह गयी थी जानकार पुरानी विधि को भी कारगर मानते है- यदि पिछले ३५ वर्सो पर नजर डाले तो रामनगर के कॉर्बेट टाइगर रिसर्व और आसपास के जंगलो में ८७ बाघों की मौते हो चुकी है जिनमे सबसे ज्यादा मौत पिछले वर्ष २००९ में ९ बाघों की हुयी है यदि कैमरों की आँखों से देश भर के बाघों की गिनती सही निकली तो सरकार के पास वास्तविक आंकड़े तो आएंगे ही साथ में नयी योजना बनाने को भी मदद मिलेगी देश हर के प्रमुख रास्ट्रीय पार्को में डब्लू आई आई कुल एक हजार कैमरे लगाने की योजना बना रहा है अपनी इस महायोजना के तेहत संस्थान कुल १७ राज्यों के वन अधिकारियो को प्रक्षिशन दे चुका है -नैनीताल जनपद के रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिसर्व में बीते पेन्तीश सालो में कुल ८८ बाघों की मौत हो चुकी है जिनमे सवार्धिक नौ मौते बीते साल यानि २००९ में हुई थी अब और एक बाघ की मौत से पार्क प्रसाशन में हडकंप मच गया है साथ ही पर्यवरण विद और वन्य प्रेमी भी चिंतित है - यदि पिछले पैतीस सालो के इतिहास की बात करे तो कॉर्बेट व उसके आस-पास के जंगलो में अबतक ८७ बाघ मौत की नींद सो चुके है. जिसमे से सबसे अधिक पिछले साल ९ थे. इनमे से ५ को नरभक्षी होने के कारन गोली मारी गई थी. आकड़ो पर गौर करे तो कॉर्बेट टाइगर रिसर्व में १९७५ में एक बाघ की मौत १९७७ में चोट के कारन और १९७८ में आपसी लड़ाई में एक-एक बाघ की मौत हुई थी. १९७९ में यहाँ एक हठी ने बाघ को मार डाला था वही आज्ञात कारणों से दो और बाघ मरे गए थे. वर्ष १९८० में अजगर ने एक बाघ की जान ली और एक छोटे बाघ की माँ के बिछड़ने से मौत हो गई. १९८२ में दो १९८४ में ६ १९८५ में ४ १९८६ में भी ४ और १९८७ में २ बाघ की मौत हुई. वर्ष १९८९ और ९० में एक-एक बाघ की मौत हुई. १९९१,९२ और ९४ में कुल तीन बाघों की मौत हुई थी. १९९४-९५ में भी एक-एक बाघ मरे. वर्ष १९९६ एक बाघ और ९७ में दो बाघ मौत की नींद सो गए. साल १९९८-९९ में भी कुल ४ बाघ मारे गए. २००१-०२ में भी दो-दो बाघ की मौत हुई और २००३ में एक बाघ ने दम तोडा. २००४ में ४, २००६ में तीन , साल २००७ में ५ और २००८ में दो बाघ मरे. इन बाघों की मौत में जहा कुछ की मौत प्राकृतिक हुई तो कुछ की आपसी संघर्ष और बिमारी के कारन, लेकिन इनमे सबसे बड़ी संख्या शिकारियों द्वारा मारे गए बाघों की हुई.

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