Saturday, December 19, 2009

गन्ना मूल्य मांगने निकले भावर के किसान



रिपोर्ट- ध्रुव रौतेला

नैनीताल जनपद के भावर- गौलापार शेत्र के किसानो ने आज पूर्व विधायक हरीश चन्द्र दुर्गापाल के नेत्रत्व में हल्द्वानी स्थित सहकारी गन्ना विकास समिति के कार्यालय जाकर संस्था के सचिव से मुलाकात की और प्रदेश के गन्ना और चीनी उद्योग मंत्री मदन कौशिक को एक ज्ञापन भेजा इन किसानो की मांग है की किच्छा चीनी मिल को राज्य सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य दिया जाये जो वह नहीं दे रही जबकि राज्य की अन्य मिले सरकार के आदेश का अनुपालन कर रही है -नैनीताल जनपद के गन्ना किसानो का गन्ना किच्छा , बाजपुर और सितारगंज गन्ना मिलो को पिराई के लिए जाता है वर्तमान में इनमे से किच्छा चीनी मिल किसानो को राज्य सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य बोनस समेत नहीं दे रही है जबकि अन्य मिले घोषित मूल्य दरो पर भुगतान कर रही है इसी की मांग को लेकर नैनीताल जनपद के भावर- गौलापार शेत्र के किसानो ने आज पूर्व विधायक हरीश चन्द्र दुर्गापाल के नेत्रत्व में हल्द्वानी स्थित सहकारी गन्ना विकास समिति के कार्यालय जाकर संस्था के सचिव से मुलाकात की और प्रदेश के गन्ना और चीनी उद्योग मंत्री मदन कौशिक को एक ज्ञापन भेजा किसानो का कहना है की वर्तमान में उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित मूल्य बोनुस सहित सामान्य प्रजाति के लिए २१५ रूपये प्रति क्विंटल और अग्रिम प्रजाति के लिए २२० रूपये प्रति क्विंटल तय किया गया है लेकिन सरकारी आदेश के विपरीत किच्छा चीनी मिल मात्र १९२ रूपये और १९७ रूपये प्रति क्विंटल पर ही भुगतान कर रही है किसानो का आरोप है की पिराई शत्र आरम्भ होते ही प्रबंध समिति और सरकार उन्हें आश्वस्त कर चुकी थी की सरकार के निर्णय के मुताबिक ही गन्ना मूल्य का भुगतान किया जायेगा जो नहीं किया जा रहा है इस बात से अक्रोसित लोगो ने गन्ना मंत्री मदन कौशिक को ज्ञापन भेजा है की वो इस मामले में स्वय हस्तक्षेप करे इधर राजीव कबद्वाल , सचिव गन्ना समिति का कहना है की किसानो को निर्धारित मूल्य जल्द दिलाया जायेगा

उत्तराखंड में भाजपा के अध्यक्ष बिसन सिंह चुफाल ने प्रदेश में जल्द ही नए मंडल और जिले बनाने की बात कह कर राज्य में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है सियासी हलको में इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का मानना है है की जहा एक और प्रदेश घोर आर्थिक संकट से झूझ रहा है ऐसे में नए जिलो और मंडल के गठन की बात करना प्रदेश की जनता के साथ मजाक करना है हलाकि राज्य सरकार की और से अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है -

उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग हुए ९ वर्ष हो चुके है प्रदेश के हिस्से में जो तेरह जिले तब मिले थे उन्ही को मिलाकर उत्तराखंड के दो मंडल कुमाऊ और गढ़वाल तब से भौगोलिक हिसाब से वैसे ही है लेकिन अब प्रदेश में सत्तारूड़ भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बिसन सिंह चुफाल ने कहा है की उनके पार्टी प्रदेश में नए जिलो और मंडलों के गठन को लेकर प्रतिबद्ध है ताकि विकास हर गाव तक पहुच सके वैसे भाजपा में संगठन के हिसाब से पिछले कई वर्षो से १८ जिले शामिल है अब भाजपा अध्यक्ष प्रदेश में भी तीन और नए जिले बनाने की बात कह रहे है -

भाजपा ने नए मंडल और जिले बनाने की बात कह कर राज्य में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है सियासी हलको में इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का मानना है है की जहा एक और प्रदेश घोर आर्थिक संकट से झूझ रहा है ऐसे में नए जिलो और मंडल के गठन की बात करना प्रदेश की जनता के साथ मजाक करना है क्योकि केवल एक जिले के गठन में लगभग पाच सौ करोड़ रूपये का बजट चाहिए और तीन जिलो और दो नए मंडलों में करोडो रूपये का अतिरिक्त भार राज्य फ़िलहाल उठाने की स्थिथि में नहीं है वरिष्ट नौकरसाहो के मुताबिक ये बात पार्टी फोरम में उठी है फ़िलहाल सरकार ने अभी तक इस बारे में कुछ नहीं सोचा है -

भाजपा नए जिले और मंडलों का गठन करके शेत्रीय लोगो की मांग तो पूरी कर सकती है लेकिन सरकार जब विधानसभा में या केंद्र में जिलो के गठन की सैधांतिक मजूरी के लिए आघे बढेगी तो उसको विरोध का भी सामना करना पड़ेगा और फ़िलहाल ये किसी से छुपा भी नहीं की केंद्र की मार से लगातार परेसान उत्तराखंड आर्थिक संकट झेल रहा है जहा उसका आर्थिक पैकेज घटा दिया गया है वही उद्योगों को दिए जाने वाली सब्सीडी की समयावधि भी कम कर दी गयी है है ऐसे में भाजपा के अध्यक्ष का बयान फ़िलहाल ठन्डे बसते में जाता ही दिख रहा है -

Sunday, December 13, 2009

राम के मंच पर पढ़ा गया निकाहनामा


ध्रुव रौतेला ..........

हल्द्वानी में रामलीला मैदान को दूसरे सम्प्रयदाय के लोगो को शादी के लिए देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है हलाकि इस मामले में दो दिन पहले ही हल्द्वानी के तहसीलदार हटा दिए गए है लेकिन हिंदूवादी संगठनो के लोगो ने उनके निलंभन और उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर आज तहसील बंद करा दी और जमकर नारेबाजी की फिलहाल जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान हल्द्वानी में डेरा डाले हुए है -हल्द्वानी में गौला नदी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की प्रशाशन के लिए एक नयी मुसीबत सामने आ गयी है सहर के ऐतिहासिक रामलीला मैदान को हल्द्वानी के तहसीलदार सुदर सिंह द्वारा दूसरे सम्प्रयदाय के लोगो को शादी के लिए देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है विजय भट्ट प्रवक्ता रामलीला मैदान कमिटी ने बताया की हिंदूवादी संगठन ६ दिसंबर के दिन हुए इस विवाह समारोह के पीछे सोची समझी साजिस बता रहे है आज आक्रोशित बजरंग दल विश्व हिन्दू परिषद् शिव सेना और विध्यार्ती परिषद् के कार्यकर्ताओ ने तहसीलदार के निलंभन और उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर आज तहसील बंद करा दी और जमकर नारेबाजी की इस मामले में दो दिन पहले ही हल्द्वानी के तहसीलदार हटा दिए गए है और मीडिया के माध्यम से वो लोगो से सार्वजानिक माफ़ी भी मांग चुके है आज प्रदर्शनकारियो की जिला प्रशाशन से लम्बी वार्ता के बाद जिलाधिकारी शैलेश बगौली ने नैनीताल के एस डी एम् अलोक पांडे को मामला का जाच अधिकारी बना दिया है और २० दिसंबर तक रिपोर्ट सामने लाने को कहा है जिसे फ़िलहाल लोगो ने मान लिया है और दोनों सम्प्रय्दयो में तनाव की स्थिति थमती नजर आ रही है

पहाड़ो में विकास भी हापने लगा है



दावे कुछ भो हो, लेकिन आकडो पर यकीन करे तो हर दावे की हवा निकलती नजर आती है. प्रदेश में विकास की रफ़्तार का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है की विकास योजनाओ के कुल बजट का अभी १६ फीसदी भी खर्च नहीं हुआ है. यह तस्वीर पुरे प्रदेश की है, जिलो की हालत तो और ख़राब है प्रदेश के जिलो में कई महकमे ऐसे है जिनोहने अभी तक बजट का एक पैसा भी खर्च नहीं किया है. ज्यादातर जिलो में तो सड़क-पुल, सिचाई, पर्यटन, महिला कल्याण, इंदिरा आवास, स्वर्ण जयंती स्वरोजगार आदि योजनाओ तक में एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ. मुक्य सचिव ने इस स्थिति को खेदजनक बताया है. सरकारी भाषा में प्रदेश में व्यय की स्थिति संतोषजनक नहीं है. विकास योजनाओ के लिए बजट ४५२२.६३ करोड़ रखा गया है. सितेम्बर तक २०७३.१२ करोड़ की मंजूरी भी हो चुकी है लेकिन इस रकम में विकास योजनाओ पर अब तक मात्र ७१८.४३ करोड़ खर्च हुआ है. जिलो की स्थति तो यह है की वहा अभी तक कई छेत्रो में प्लान का पैसा खर्च ही नहीं हुआ है देहरादून में सड़क-पुल, जल-संसथान, स्वर्ण जयंती रोजगार योजना, लघु उद्योग, और दुग्ध विकास पर जिला सेक्टर का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ है. येही स्थति पुरे प्रदेश की है, लेकिन दुरस्त जिलो चमोली और अल्मोडा की स्थति तो और भी ख़राब है. चमोली में १३ तो अल्मोडा में १७ विभागों में खर्च की स्थिति शुन्य है.