Saturday, February 13, 2010

फूलों के कारोबार को लेकर सरकार और निजी कम्पनी में तकरार


ध्रुव रौतेला
नैनीताल जिले के भीमताल के पास स्थित चांफी की बहुचर्चित इंडो डच परियोजना इन दिनों विवादों के घेरे में है. २८ फ़रवरी २००९ से सुरु हुई कुल ८ करोड़ ९ लाख लागत की इस कृषि आधारित परियोजना को ख्यातिप्राप्त प्रगतिशील किसान के रूप में जाने जाने वाले "पपाया मेन" के नाम से मशहूर सुधीर चड्डा ने दो अन्य निदेशकों जिनमे से एक दिल्ली और एक होलेन्ड से है के साथ शुरु किया था जिस पर सरकार ने अब घटिया क्वालिटी के बीज किसानो और सरकार को बचने का आरोप लगते हुए जांच बेठा दी है. उत्तराखंड सरकार के सिडकुल से टेंडर द्वारा प्राप्त इस प्रोजेक्ट को जोर-शोर के साथ शुरु किया गया और उच्च टेक्नीक पर आधारित मशीनो को होलेन्ड से लाकर इस प्रोजेक्ट के लिए लगाया गया पूरे देश में तकनीक के हिसाब से बीज बनाने की यह सर्वाधिक उच्च कोटि की परियोजना मानी जाती है. इंडो डच होर्टीकल्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुधीर चड्डा का कहना है की इस परियोजना को शुरू करने का उनका मकसद देश में फूलो के बीज का निर्यात रोकना था ताकि हम अपना ही बीज बनाकर अपने ही किसानो को दे सके और हमारी तकनीक को फिर बाहर को लोग भी जाने . वैसे यह भी एक हकीकत है की छोटे से गाँव चांफी में इस परियोजना के लगने से जहा सेकड़ो किसान लाभान्वित हुए है वही कई लोगो को रोजगार भी मिल सका है पंतनगर विवि के कुलपति समेत सरकार के कई मंत्री और यहाँ तक की राज्यपाल भी इस परियोजना स्थल पर पहुचकर मीडिया के माध्यम से इसकी खूब तारीफ भी कर चुके है उत्तराखंड सरकार ने तो बीते महीने उद्यान विभाग के अपने प्रदेश भर के सभी एस.एच.ओ को यहाँ ट्रेनिंग भी दिलाई थी. इस बार जो विवाद शुरु हुआ वह यह की एक पखवाड़े पहले प्रदेश के कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत यहाँ पहुचे उनके साथ कृषि सचिव विनोद फोनिया भी थे दौरे के समय ही मीटिंग के दौरान फोनिया ने इंडो डच परियोजना की मंशा पर ही सवाल उठाने शुरु कर दिए और सरकार को लघभग ४० लाख रूपये के घटिया क्वालिटी के ग्लाईडोलिया बेचने का आरोप लगाया जिसपर कृषि मंत्री ने तीन सदसीय जाँच कमिटी बेठा दी जो शुक्रवार को देहरादून से आकर ग्लाईडोलिया के बीज के नमूने ले जा चुकी है उद्यान सलाहकार समिति के वि पि उनियाल और उपनिदेशक भारत राज ने बीज के सेम्पल ले लिए है कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हमसे कहा की उन्हें व्यक्तिगत रूप से यह परियोजना किसान की हितकर लगी है रही बीज के जाँच की बात तो वह कमिटी बताएगी की गड़बड़ कैसे हुई . वैसे ग्लाईडोलिया के बीज की कीमत इंडो डच होर्टीकल्चर प्राइवेट लिमिटेड में २.२५ रूपये प्रति बल्ब है लेकिन विनोद फोनिया कहते है की उन्हें यही बल्ब विदेशो से मंगाकर भी २.०७ रूपये का पड़ रहा है तो फिर इस परियोजना का सरकार को क्या लाभ . चांफी के इस इंडो डच पार्क में कास्तकारो को फूलो की खेती का प्रक्षीसन भी दिया जा रहा है . निदेशक सुधीर चड्डा कहते है की सरकार सही सोच के साथ किसानो का हित देखते हुए इस परियोजना में उनका साथ दे कही पर वह गलत है तो उनको जांच स्वीकार है पर बिना बात के संस्थान की छवि ख़राब न की जाये . वैसे सूत्रों से जो बात पता चली है वह यह है की विवाद मेरत की एक कम्पनी को लेकर हुआ है जिसने बतौर वेंडर पहले इंडो डच से बीज खरीदे और फिर उत्तराखंड सरकार को मोटे मुनाफे पर बेच दिए लेकिन यहाँ सरकार की टेंडर की प्रक्रिया भी सवालो के घेरे में है यदि बीज महंगा था तो टेंडर उक्त कंपनी को क्यों दिया गया इस लड़ाई के पीछे सरकार और इंडो डच न होकर एक आई.ए.एस सचिव विनोद फोनिया और ऊँची रसूक वाले सुधीर चड्डा के बीच के आपसी मतभेद भी है माना यह भी जाता है की उक्त परियोजना में भाजपा के भी एक बड़े नेता का अंदरखाने पैसा लगा हुआ है .

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