
ध्रुव रौतेला.
शेखर कपूर की प्रख्यात फिल्म बेंडिट क्वीन में दस्यु सुंदरी फूलन देवी के प्रेमी विक्रम मल्लाह का जोरदार किरदार निभाने वाले नैनीताल निवासी निर्मल पांडे की अकस्मात मृत्यु से पूरे पहाड़ के लोगो को गहरा झटका लगा है . निर्मल दा की मृत्यु की खबर जब मैंने "ऑरकुट" में डाली तो दिल्ली बंगलोर और यहाँ तक की लन्दन से भी मुझे लोगो ने संपर्क कर पूछा की अचानक ये कैसे हो गया इन लोगो में अधिकांश मेरी ही पीड़ी के नोजवान साथी है जिनके लिए 'निर्मल दा' वाकई में हीरो थे . ८० के दशक में भीमताल के विकासखंड कार्यालय में जब वह सरकारी नौकरी कर रहे थे तो उन्होंने मल्लीताल रामलीला में 'सुमंत' का जीवंत किरदार निभाया था जिसका जिक्र आज भी भीमताल के लोग करते है भले ही उन्होंने एन.एस.डी में अपनी कला को निखारा हो लेकिन नैसर्गिक रूप से वह रामलीला के मंच से निकले राग भैरवी और खम्माज मार्का कलाकार थे . कई लोगो ने निर्मल पांडे की फिल्मो 'इस रात की सुबह नहीं ', 'शिकारी', 'प्यार किया तो डरना क्या' , ' वन टू का फोर', 'हम तुमपे मरते है' में उनके नेगेटिव रोल का जिक्र किया है लेकिन उनके जबरदस्त तरीके से सराहे गए एकमात्र म्यूजिक विडियो अल्बम " गब्बर मिक्स " के बारे में लिखना पत्रकार साथी भूल गए इस अल्बम में उन्होंने संगीत में गहरी रूचि के चलते ही अभिनय के साथ गीत भी गए थे शायद नाटकों के दौरान हारमोनियम और तबले की साज के रियाज का ही फल यह एल्बम था. निर्मल पांडे ने भले ही ऑफबीट और कॉमेर्सिअल दोनों ही फिल्मे की हो लेकिन रंगमंच को कभी नहीं छोड़ा नाटक और थियेटर में तो मानों उनकी आत्मा बस्ती हो कुमाऊ के एक प्रसिद्द नृत्य नाटिका 'भस्मासुर' के उनके दहलादेने वाले अभिनय को आज भी लोग यहाँ याद करते है. जुहूर आलम के नैनीताल में बनाये गए "युगमंच" से निकले निर्मल पांडे ने अपनी अभिनय छमता को लोहा विदेशी धरती पर भी मनाया फ्रांस में उन्हें फिल्म 'दायरा' के लिए बेस्ट नायिका का अवार्ड मिला जो अपने आप में अनूठा था . पहाड़ की मिटटी की खुसबू को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा जल, जंगल, जमीन जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर वह चिंतित जरुर रहते थे और छेत्रिय हितो के चलते ही उत्तराखंड क्रांति दल से प्रत्यासी रहे मेरे कॉलेज के मित्र विधायक पुष्पेश त्रिपाठी के प्रचार में द्वाराहाट में उन्होंने खूब प्रचार भी किया. वर्ष २००५ में उनके और हेमंत पांडे के साथ में देहरादून में उतरांचल फिल्म समारोह में शामिल हुआ था उन्होंने तब भी कहा थी उतराखंड की प्रतिभा को हमें मंच देने के लिए आगे आन होगा अचानक काल का ग्रास बने इस भावुक अभिनेता का एक सपना जो अधूरा रह गया वह था कुमाऊ में रंगमंच के एक केंद्र को स्थापित करने की जो क्या अब पूरा हो पाएगा......
with nirmal pande & hemant pande dhruv rautela at uttaranchal film festival 2005 in dehradoon.
ReplyDeleteनिर्मल पांडे ने 'बैंडिट क्वीन' (1994), दायरा (1996), 'गॉडमदर' (1999), 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'इस रात की सुबह नहीं' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया था।
ReplyDeleteमेरा सत सत नमन