

ध्रुव रौतेला
सर पर हेट मुह पर सिगार बड़ी हुई दाड़ी के साथ बिस्तर पर पड़े हुए इस शख्स को यदि आप पहली बार देखते तो लगता मानो यह कोई हिंदी फिल्म का विलन हो एकदम कठोर सा ... लेकिन कुछ देर रूककर बातचीत में आपको लग जाता की अन्दर से यह आदमी मुलायम और पर्यावरण को लेकर बेहद चिंतित है . में बात कर रहा हूँ नैनीताल के पास भीमताल के जूनस्टेट में रहने वाले फ्रेडी सर की जिन्होंने बीते रविवार इस दुनिया को अलविदा कह दिया ... लोग उन्हें तितलियों के वजह से खूब जानते है आखिर हर पर्यटक भीमताल यदि आये तो उनके घर पर बने इस संघ्राहालय को देखने जरूर जाता है ... भीमताल का होने के नाते हम बचपन से फ्रेडी सर से जुड़े थे मेरी एस सहपाठी मिनाक्षी तो उनके लिए बेटी से भी बढकर थी इसलिए मैंने फ्रेडी सर को काफी करीब से जाना और समझा है .. पिछले कुछ वर्षो से कैसे वह ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे थे वो सब बाते उन्होंने मुझे बताई भी थी लेकिन अफ़सोस की हम इस प्रकति प्रेमी को अकस्मात मौत से बचा न सके .....मैंने अपने दिल्ली के मीडिया जगत के कई लोगो को फ्रेडी सर से मिलवाया था शादी के बाद पत्नी को लेकर में उनका आशीर्वाद दिलवाने भी ले गया क्योकि वह चल पाने में अशर्मथ थे.... उनको कम पीने की गुजारिश भी में किया करता था लेकिन अंतिम दिनों में यह योद्धा भीतर से टूट गया था यह मैने महसूस भी किया. उनके तितलियों और कीट पतंगों के संसार पर टी.वी और प्रिंट के लिए मैने काफी स्टोरिया भी की.... मुझे देखते ही वो बोल पड़ते थे " हियर कम्स ध्रुव , माय ग्रांड सन .." दरअसल उनके पोते का नाम भी ध्रुव रखा गया है इसलिए इस नाम को वह दोहराते जरुर थे ... अपने मित्र डॉ. अजय रावत से जुड़े कॉलेज के दिनों की बाते हो या भीमताल शहर के स्थानीय मुद्दे वह बेबाकी से अपनी राय जरुर रख देते थे . फ्रेडरिक स्माताचेक जूनियर जो अब हम लोगो के बीच नहीं है मूलतः जर्मनी के रहने वाले थे उनकी माता शाहिदा टीपू सुल्तान के खानदान से ताल्लुक रखती थी. उनके पिता फ्रेडी सीनियर भीमताल के राणा एस्टेट में बतौर मैनेजेर आये थे यह प्रोपर्टी महाराजा बलरामपुर और नेपाल मूल के राजपरिवार के राणा खानदान की थी जिन्होंने एक लम्बा भूभाग फ्रेडी सीनियर को पॉवर ऑफ़ अटर्नी के रूप में दे दिया था अब भीमताल तेजी से पर्यटक स्थल का रूप ले रहा है इसलिए जमीन को लेकर विवाद बना हुआ है . फ्रेडरिक स्माताचेक जूनियर का हिंदी और कुमाउनी भाषा में अच्छी पकड़ थी वह कई वर्षो तक जूनस्टेट के निर्वाचित ग्रामप्रधान भी रहे जिसे आदर्श ग्रामसभा का राष्ट्रपति सम्मान भी मिला . मध्य हिमालयी इलाको की भौगौलिक उथल पुथल के वह घनिष्ट जानकर थे और साहसिक यात्राओ में सुरुवाती दिनों में काफी जाया करते थे और फोटोग्राफी उनके खास शौक था देश की कई नामचीन हस्तिया जैसे फिल्म सितारे सुनील शेट्टी , डीनो मोरेया और कई आई ए एस अधिकारी , पत्रकार और प्रोफ़ेसर उनके करीबी मित्र थे. अपने पिता के तितली प्रेम को उन्होंने आगे बढाया और सहेज कर भी रखा अब उनकी मृत्यु के बाद सवाल यह है की इतनी बड़ी विरासत और अध्यन की प्रयोगशाला को कौन बचाकर रखेगा. उनकी पत्नी दिल्ली और बेटा मुंबई में रहते है उनके काफी निकट रहे स्थानीय अम्बा दत्त कांडपाल को क्या उनका परिवार ये हक़ देगा ? कई प्रश्न है जो अनुतरित है. चाहे तो उत्तराखंड की सरकार इस अनूठे संघ्राहालय को राजकीय धरोहर भी बना सकती है ताकि विज्ञानं के छात्र यहाँ से कुछ सीखे और फ्रेडी सर के काम को दुनिया भर के लोग देखने भीमताल पहुच सके .
कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
ReplyDeleteधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
होली की पूर्व संध्या पर मिलना खूब रहेगा .... कहें तो अपने संग ढोल-झाल भी ले आयेंगे ..... फागुन का रंग खूब जमेगा
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ ,
हिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!
ReplyDeletevery nice information dear dhruv thanks
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